ये इंक ब्लॉगिंग भी अजीब लफ़ड़ा है! एक तो ब्लॉगिंग की लत ऐसी है कि पिछले साढ़े नौ बरस से छुड़ाए नहीं छूट रही, और दूसरी ओर नए सॉफ़्टवेयर की टैस्टिंग के बहाने अब अपनी लिखावट को थोड़ा सुधारने का विचार मन में आया है। कंप्यूटर पर जब से काम होने लगा है तब से कागज़ कलम से मानो नाता ही टूट गया है। स्टेशनरी वाला भी मुए कंप्यूटर को कोसता होगा जिसने उसकी ग्राहकी कम करवा दी!! अब मुझे भी अभ्यास छूट गया है तो कभी लिखना पड़ जाता है तो बहुत ही असहज लगता है! सुबह कक्षा में भी नोट्स लेने का बिलकुल मन नहीं करता, मन में बस यही आता है कि पड़ोसी के नोट्स बाद में फोटोकॉपी करवा लेंगे, अब लिखने की ज़हमत कौन उठाए!! लेकिन तभी ध्यान आता है कि जनवरी में एक नहीं वरन्‌ दो सेमेस्टरों के पर्चे लिखने हैं, वाट लग जाएगी!! ऐसा सोच एक बार दो दिल दहल सा जाता है। यह तो भला हो मेरे इस मोबाइल का कि इसके लिए यह नोट्स लेने और स्केच बनाने के इस सॉफ्टवेयर की टैस्टिंग करते-२ यह विचार मन में आया। और जहाँ इस सॉफ्टवेयर की बात है तो इसके दो प्रयोग अपने ब्लॉगिंग के कीड़े के कारण दिमाग में आ रहे हैं! किसी ने सही कहा है कि लत ऐसी जो न करवा जाए वही कम है!! तो चलो अब देखते हैं कि ब्लॉगिंग की लत का यह अध्याय कब तक चलता है!!