पंकज ने बताया कि दूरदर्शन के पचास वर्ष हो गए हैं और वह अपनी स्वर्ण जयंति मना रहा है। इसी के चलते पंकज ने दूरदर्शन के स्वर्ण काल के कुछ लोकप्रिय कार्यक्रमों की सूचि छापी है और कहा कि दूरदर्शन आज अपनी प्रासंगिकता खो रहा।

मैं समझता हूँ कि दूरदर्शन ने आऊट ऑफ़ डेट होना और बोर करना बीस साल पहले ही शुरु कर दिया था लेकिन उस समय लोग इसलिए झेल रहे थे कि निजी चैनल नहीं थे, केबल टीवी नब्बे के दशक में आया और शुरुआती दिनों में महंगा था। लेकिन जैसे-२ उसके दाम नीचे आते गए और लोगों को मज़ा आना शुरु हुआ वैसे-२ उसकी पैठ बढ़ने लगी और दूरदर्शन की ग्राहकी कम होती गई।

दुख की बात यह है कि निजी चैनलों के पास अपनी गुणवत्ता बढ़ा के ग्राहक बढ़ाने के लिए जो मोटिवेशन था (मुनाफ़ा) वह दूरदर्शन के पास नहीं था, सरकारी चैनल है आखिर, नुकसान में भी जाए तो क्या फर्क पड़ता है, किसी की नौकरी पर थोड़े ही बन आएगी और न ही चैनल बंद होगा।

अस्सी के दशक में दूरदर्शन पर कई लोकप्रिय और कालजयी टीवी सीरियल प्रसारित हुए लेकिन नब्बे के दशक में दूरदर्शन ने आगे बढ़ने के स्थान पर बेकार बदमज़ा टीवी शो ही दिखाए, पैसा खर्च नहीं करना चाहते थे अच्छे सीरियलों पर जो कि फिर निजी चैनलों के पास चले गए। एक कोशिश इन्होंने पुराने लोकप्रिय सीरियलों के पुनः प्रसारण द्वारा भी की लेकिन वह भी खास कामयाब न हुई!!

वाकई अफ़सोस होता है कि वह चैनल जिसकी कभी बाज़ार में 100% पकड़ थी, एकाधिकार था, उसका आज यह हाल है कि कदाचित्‌ ही कोई उसको अपनी इच्छा से देखता होगा!!

 
 
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